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जिस देश के चौथे स्तम्भ से लोगों को आशा जमी रहती है जो खुलासे का काम करती है और जो राजनीतिज्ञों के भ्रष्टाचार के खुलासे करती है और जो राजनीतिक और आतंरिक नीतियों का पर्दाफाश करती है आज वो ही भ्रष्टाचार का दीमक खा रही है और आज उसे ही भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है और आज मीडिया पर ही केस चल रहे हैं बड़ी हैरानी होती है यह देखकर की आज मीडिया में भी भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है आजादी से पहले की पत्रकारिता बढ़िया थी तब पत्रकारिता बिकाऊ नहीं थी लेकिन आज तो पत्रकारिता भी बिक गयी है जब आजकल हमारे देश के नेता ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो मीडिया क्या नहीं होगी यह एक सोचने वाली बात है अभी भी मीडिया देश का चौथा स्तम्भ ही है इससे देश के लोगो को आशाएं जगी रहती हैं मीडिया को अब भ्रष्टाचार के मूल कारणों को खोजना चाहिए सोचना चाहिए की क्या कारण है जो अब हम भ्रष्टाचार में लिप्त है क्या येही देश के चौथे स्तम्भ का भविष्य है मीडिया भी अब बिकाऊ होता दिख रहा है बड़ी चिंता होती है यह देखकर की आज मीडिया भी बिक गया पत्रकारिता भी बिक गयी है पत्रकारिता के बिकने का मूल कारण है होड़ लगाना एक चैनल आजकल दुसरे चैनल से आगे बढ़ना चाह रहा है आजकल हर एक चैनल अपनी टी आर पि की दोड में है यहाँ तक की मीडिया में भी गन्दी चीजों को तवज्जो दी जाने लगी है गंदे गंदे विज्ञापन गलत गलत दृश्य यह सब क्यों दी जा रही हैं पैसो के खातिर और आजकल तो समाचार पत्र भी बिकते नजर आ रहे हैं समाचार पत्र भी आजकल रीडरशिप सर्वे के जरिये अपनी पाठक संख्या का हिसाब लगाता है और फिर विज्ञापन करता है इतने संस्करण इतने करोड़ पाठक और नंबर one यह तो समाचार पत्र की खूबी है और आजकल समाचार पत्र भी बढ़ा चढ़ाकर खबरें देते हैं जबकि समाचार पत्रों का काम है की सही खबरें दें आज़ादी से पहले के समाचार पत्र सही थे तब देश के चौथे स्तम्भ पर भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा था अरे आजकल के पत्रकार तो पत्रकारिता को पैसे कमाने का पेशा समझ रहे हैं जबकि पत्रकारिता पैसे कमाने का पेशा नहीं है वह तो देश को जगाने और देश की गतिविधियाँ निष्पक्ष देने का पेशा है पर आजकल तो पत्रकार भी बिक गए और मीडिया भी बिक गया आजकल के पत्रकारों को तो आजादी से पहले के पत्रकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए तिलक जी ने केसरी अखबार निकाला उसमें आजादी की गतिविधियों के बारे में सही विवरण दिया और महात्मा गाँधी ने यंग इंडिया में ग्राम स्वराज पर लिखा देशबंधु चितरंजन जी ने सैनिक समाचार पत्र चलाया और उसमें आजादी पर ही लिखा वह भी निष्पक्ष देश की इज्जत पहले ही मिटटी में मिली है दुसरे देश के लोग हम पर हंस रहे हैं देश के प्रधानमन्त्री के उप्पर पहले ही भ्रष्टाचार को ख़त्म करने का भार है नेता भी भ्रस्ताचारी हैं हम दुसरे देश को क्या मुह दिखायेंगे क्या यह कहेंगे की देश का चौथा स्तम्भ भी भ्रष्टाचार में लिप्त है इसलिए मीडिया को अब भी जाग जाना चाहिए और अपने उप्पर भ्रष्टाचार का दामन हटाना चाहिए और निष्पक्ष पत्रकारिता में जुट जाना चाहिए और इमानदारी बरक़रार रखनी चाहिए और पैसो के हाथों बिकने से बचना चाहिए
धन्यवाद
लोकतान्त्रिक हित में अजय पाण्डेय द्वारा जारी
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