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वृक्ष लगाओ जीवन पाओ अभियान कहाँ तक तर्कसंगत

lekhan vani
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जब में देहरादून से mussourie को जा रहा था तो मैंने वहां पर पंजाब नेशनल बैंक का एक बोर्ड लगा देखा उसमें यह लिखा था की यदि वृक्ष न होते तो छाव देता कौन वृक्ष लगाओ जीवन पाओ और जो बाबा वृक्ष काट दे रहे हैं वो कुछ नहीं और जनता से कह रहे हैं वृक्ष लगाओ जीवन पाओ यदि वृक्ष न होते तो छाव देता कौन अरे पहले बाबाओं को जागरूक करो इन वाक्यों से फिर जनता को कहो बाबा रामदेव और अन्य बाबाओं ने वृक्ष काटकर आश्रम बना लिए और बाबा रामदेव जी ने भी बहादराबाद में जमीन घेरकर और वृक्ष काटकर आश्रम बना डाला वो भी विदेशी शिष्यों को बैठाने के लिए अरे संत तो वो होता है जो एक कुटिया में रहे उसे यह वातानुकूलित आश्रम की क्या जरुरत बाबा रामदेव जी भी एक कुटिया में रहें उन्हें भी इतना बड़ा आश्रम क्यों चाहिए विदेशी शिष्यों को बैठाने के लिए अरे असली संत तो यह थे विश्वामित्र वशिष्ठ तुकाराम नामदेव vithhal और नानक जी जो कुटिया में रहे और कोई आश्रम नहीं बनाया और धर्म का ज्ञान देते रहे पहले जब गुरु के साथ शिष्य गुरुकुल जाते थे तो शिष्य हरे भरे पेड़ और कुटिया में रहते थे और गुरु भी कहते थे की जिस शिष्य को शिक्षा लेनी है इसी में रहे यदि नहीं रहना तो चले जाए और गुरु भी उसी में रहते थे कुटिया बनाकर उन्हें तो बस ध्यान लगाने के लिए शांत वातावरण चाहिए होता था न ही कोई वातानुकूलित आश्रम होता था और न ही कुछ बाबा रामदेव जी ने भी यह आश्रम बहादराबाद में इसीलिए बसाया है विदेशी शिष्यों को रखने के लिए अब यह संत कहते हैं की नेताओं के पास कितना काला धन है अरे पहले अपने को देखें की इनके आश्रम में कितना काला धन है बाबा रामदेव जी भी अपने को देखें की उनके आश्रम में कितना काला धन छिपा है यह कहाँ की संत गिरी है की विदेशी शिष्यों को गर्मी में तीर्थों में बुलाओ मोटी रकम लो और ठहराओ यह क्या बाबागिरी है बाबा रामदेव जी का भी ऐसा है उन्होंने भी विदेशी शिष्य बैठा रखे हैं उनके पास कितनी मोटी रकम है और बाबा लोग कहते हैं की हमने जनता के लिए ट्रस्ट बनाया ट्रस्ट जनता का नहीं है विदेशी शिष्यों का है और इन बाबाओं के पास रहने की भी मोटी गुरुदक्षिना है इनके धर्मशाले विदेशी शिष्यों को देने के लिए हैं पर भारतीय जनता को देने के लिए नहीं है बाबा रामदेव का भी ट्रस्ट जनता के लिए नहीं है विदेशी शिष्यों का है बाबा रामदेव जी की किताबें भी महंगी है दवा भी महंगी है अरे उतनी पतली गोलियां और शीशियाँ महंगी क्यों है बाबा रामदेव जी जो पैसा आता है उसे अपने आश्रम की अलमारियों में रखते हैं और विदेशी शिष्यों से पैसे लेकर वो भी उनकी अलमारियों में रहते हैं अरे बाबा रामदेव जी के उपदेश तो जनता पढ़ ही नहीं पाएगी जैसे उनकी किताबों के मूल्य हैं श्री p चिदंबरम जी ने सही कहा है की आजकल भगुवा आतंक है कुछ बाबा ऐसे हैं जो विदेशी शिष्यों को बसाकर भारतीय संस्कृति को गन्दा कर रहे हैं अब बाबा कहते हैं गंगा बचाओ अरे गंगा भारत देश की जनता ने नहीं बल्कि बाबाओं के विदेशी शिष्यों ने गन्दी कर रखी है अरे पहले विदेशी शिष्यों को हटायें पर नहीं विदेशी शिष्यों से नोट मिलते हैं तभी उन्हें बसाया है बाबा रामदेव जी ने भी हरिद्वार में विदेशियों के लिए फ्लैट बनाये हुए हैं और विदेशी शिष्यों को रखा है अरे पहले इन बाबाओं को अपने गिरेवान में झाकना चाहिए तब कहना चाहिए की नेताओं के पास काला धन है पहले अपना काला धन देश को दें जो इनके बैंक खाते में धन है वो भी सब ऐशो आराम के लिए है और आश्रम के अन्दर ऐशगाह हैं विदेशी शिष्यों के लिए अरे संत हैं तो एक कुटिया में रहें आश्रम की क्या जरुरत है बाबा ही देश लुट रहे हैं सरकार को इनके आश्रम तोड़कर बीघा बीघा जमीने खाली करवानी चाहिए और कुटिया में रहने को कहना चाहिए बाबाओं को भी कुटिया में रहना चाहिए और अपना काला धन देश की जनता को देना चाहिए और उस जमीन पर वृक्ष लगने चाहिए जहाँ इनके आश्रम हैं और विदेशी शिष्यों को भगाकर गंगा और देश का पर्यावरण बचाने में योगदान करना चाहिए और अलग कुटिया में रहना चाहिए शिवजी का भगवा वस्त्र भी इन्ही बाबाओं की वजह से बदनाम हो रहा है भगवा आतंक को कम करने में बाबा ही सहयोग दे सकते हैं काला धन अपना देश को वापस देकर और एक कुटिया में रहकर संत की मिसाल देकर
धन्यवाद
देशहित में अजय पाण्डेय

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