lekhan vani
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रो रहा मेरा मन
कैसे रोकू प्रदुषण
दूषित वायु दूषित जल
प्रकृति रोती है हरपल
सरपट दौड़ रहे वाहन
मुरझा रहे वन उपवन
कैसे खेलूं घर से बाहर
घर में तड़प रहा बचपन
कैसे पढू घर के अन्दर
कैसे रोकू ध्वनि प्रदुषण
लाउड speaker बस कार
करती हैं कर्कश ध्वनि
चमक खो रहा है ताज
ओजोन कम हो रहा है आज
मन बेबस हो रहा है आज
लौटा दो मुझको वोह हरियाली
चारो तरफ हो खुशहाली
ले लो मेरा तन मन धन
कह रहा है मेरा मन
चारो तरफ है घोर प्रदुषण
उत्तरायनी मेले में पुरस्कृत कृति
धन्यवाद
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