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सामाजिक कुरीति के विरोध करने के प्रणेता बालगोबिन भगत

lekhan vani
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बालगोबिन भगत जी सामाजिक कुरीति का विरोध करते थे उनके यह सिद्धांत थे न दुसरो की चीज लो न औरो की चीजों को लो अपने इसी सिद्धांतो के कारन वह लोगो के बिच एक चरित्रवान व्यक्ति के नाम से जानते थे वह एक सत्यवादी और इमानदार व्यक्ति थे बालगोबिन जी एक भक्त थे और वह जितने गीत की रचना करते थे वह प्रभु भक्ति गीत होते थे और वह एक सीधे सज्जन इंसान थे उनका एक पुत्र था वह मर गया था पर उन्हें इसका दुख नहीं हुआ वह आत्मा के परमात्मा के मिलन से ख़ुशी बनाने लगे और उनकी पुत्रवधू रोने लग गयी पर उन्होंने उसे उत्सव बनाने को कहा उन्होंने कहा की यह रोने का दिन नहीं है यह तो ख़ुशी बनाने का दिन है पर उनकी पुत्रवधू रुदन कर रही थी बालगोबिन जी अपना आचरण सबके प्रति एक अच्छा आचरण रखते थे और सभी से सच बोलते थे और गाते इतना अच्छा थे की सभी उनके गाने को सुनकर सुधबुध खो बैठते थे वह एक कबीरपंथी भक्त थे उनके गले में एक तुलसी की माला और एक चन्दन का तिलक लगा रहता था उनके खेत में जितनी फसल होती थी उसे काटकर वह एक कबीरपंथी मठ में ले जाते थे और उसे वहां पर दे देते थे शेष जितना उन्हें मिलता उसी से वह अपना गुजारा करते थे उन्होंने सामाजिक कुरीति का खंडन करते हुए अपने पुत्र को मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से दिलवाई और उसी से उसका पूरा अंतिम संस्कार करवाया और उसके बाद बिना karamkand किये उसका श्राद्ध संस्कार करवाया श्राद्ध संस्कार पूरा होने के बाद उन्होंने उसे दूसरी शादी करने का आदेश दिया और कहा जा दुसरे घर और अपनी जिंदगी का गुजर बसर कर फिर पुत्रवधू को चिंता हुई की इनका ध्यान कौन रखेगा इनके लिए khana कौन banayega usne कहा की मुझे अपने charano से अलग मत कीजिये मुझे यही रहने दीजिये उन्होंने कहा की नहीं तू जा और में यह घर छोड़कर चला जाऊंगा वह इस कुरीति पर विश्वास नहीं करते थे की विधवा दूसरा विवाह नहीं करती उन्होंने अपनी पुत्रवधू का विवाह इस कुरीति के विरुद्ध भी कराया और कहा की जिस घर भी जाए सुखी रहना और अच्छे से गुजर बसर करना सच में बालगोबिन जी एक अच्छे महापुरुष थे जो सामाजिक कुरीति का विरोध करते थे बालगोबिन जी जैसे महापुरुष अगर हो जाए तो सामाजिक कुरीतियाँ रहेंगी ही नहीं बल्कि ख़त्म हो जायेंगी ऐसे ही महापुरुष इस दुनिया में अवतरित हों और सामाजिक कुरीतियाँ ख़त्म करने में अपना हाथ बढायें सच में बालगोबिन जी प्रेरणा दायक हैं हमें उनके आचरण और व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए और सामाजिक कुरीतियों को ख़त्म करने के लिए आगे आना चाहिए और प्रेरणा लेनी चाहिए और बालगोबिन जी जैसे लोगो के विचारों को पढ़कर अपने जीवन में उतारना चाहिए तभी सामाजिक कुरीतियाँ ख़त्म होंगी वरना नहीं इन जैसे महापुरुष अब बहुत ही कम हैं जो सामाजिक कुरीतियाँ ख़त्म कर पायेंगे बालगोबिन जी रचनायें भी करते थे उन्होंने भक्ति गीत गाये थे वह एक सरल और साफ़ इंसान भी थे वह गृहस्थ न होते हुए भी साधू ही थे वह कबीर जी के आदर्शों को जीवन में उतारते थे और उन्हीके आदर्शों पर चलकर वह सामाजिक कुरीतियों का विरोध करते थे वह कबीर को अपना साहब मानते थे ऐसे व्यक्तियों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और कुरीतियाँ भगानी चाहिए और इसके लिए प्रयास करना चाहिए
धन्यवाद
अजय पाण्डेय द्वारा जारी

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