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जिला अल्मोरा से आगे चलकर एक हिल स्टेशन द्वाराहाट आता है वहां से आगे चलकर एक मंदिर पड़ता है दूनागिरी कहा जाता है की जब लक्षमण जी को शक्ति लगी थी तब सुशेन वैद्य ने उनको द्रोनांचल नाम का पर्वत बताया था वहां से उन्होंने हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने को कहा था फिर हनुमान जी वहां से पर्वत उठा रहे थे तो वहां पर पर्वत का एक छोटा सा टुकड़ा गिरा फिर यहाँ पर दूनागिरी का मंदिर बन गया यहाँ पर हर मनोकामना पूरी होती है और यहाँ पर हमारे kumaon का हर शादी का जोड़ा पहले यही जाता है कहा जाता है की यहाँ पर जो सच्चे मन से जाता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है दूनागिरी पहुचने के लिए पहले द्वाराहाट तक जाना पड़ता है वहां से बस और जीप करके दूनागिरी जा सकते हैं अल्मोरा और हल्द्वानी से यहाँ के लिए सीधी बसें और जीपें हैं दूनागिरी sabhi जगह से नजदीक है जब आप जीप और बस के द्वारा दूनागिरी पहुचते हैं तो यहाँ पर एक स्टॉप मंग्लिखान आता है वहां से आप पूजन सामग्री वगेरह ले सकते हैं फिर वहां से चढ़ाई करनी पड़ती है सीढियों द्वारा ज्यादा चढ़ाई नहीं है पर सीढियों में चढ़ते चढ़ते पैर जरुर थकेंगे जिसे आदत न हो तो जो पहाड़ की आदत का हो उसे थकान नहीं होगी जो पहली पहली बार दूनागिरी जाता है उसे थोडा परेशानी जरुर होगी क्योंकि यहाँ टेढ़े मेधे रास्ते हैं दूनागिरी जब आप पहुचेंगे तो वहां पर आपको पहाड़ हरे भरे पेड़ आदि दिखेंगे फिर मंदिर में जूता चप्पल खोल के रखने पड़ते हैं फिर वहां पर मंदिर में हाथ पांव धोकर पहुचना होता है फिर वहां मंदिरों के दर्शन होते हैं फिर जब आप मंदिरों में पहुचेंगे तो वहां पर आपको गोलू देवता का मंदिर दिखेगा फिर हनुमान फिर शंकर जी का वहां पर कई कई झूले भी हैं जैसे पारवती झुला फिर वहां से जब वापस जायेंगे तो वहां पर प्रसाद खाकर जाना होता है वहां पर हवा से ही भूख लगेगी और प्रसाद भी स्वादिष्ट लगता है क्योंकि उस प्रसाद में माता की कृपा होती है यह भी कहा जाता है की यहाँ संजीवनी बूटी अभी भी है पर जो जानकार हो उसके लिए वहां पर प्रसाद के स्थल के बाहर स्टाल लगे मिलेंगे वहां से आप जो खरीदना चाहे खरीद सकते हैं जब निचे आयेंगे मंग्लिखान में तो वहां कई restourant और होटल मिलेंगे वहां पर आप खाना खा सकते हैं और ठंडा वगेरह ले सकते हैं और फिर वहां से वापस जाने के लिए जीप मिलती है वहां पर जो रुकना चाहे रुक सकता है मंदिर में दो धर्मशाले हैं कुंती भवन यशोदा भवन यहाँ पर आप रूक सकते हैं और आराम कर सकते हैं फिर वहां कई कई दर्शनीय स्थल निम्न हैं
द्वाराहाट
यह सांस्कृतिक कला का केंद्र है और पर्यटक स्थल भी है स्याल्दे का मेला बहुत प्रसिद्द है
विभानदेश्वर महादेव
ये भी दूनागिरी की तरह ही एक मंदिर है
कुकुचिना
यह भी एक गाँव है
यहाँ पर यही दर्शनीय स्थल हैं इन दर्शनीय स्थलों को आप देख सकते हैं यहाँ यह कहा जाता है की जो भी दूनागिरी जाता है उसकी मनोकामना जरुर पूर्ण होती है
धन्यवाद
अजय पाण्डेय द्वारा जारी
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