- 110 Posts
- 307 Comments
अरे भाई रक्ताले जी जरा देखिये की क्या लोग हमारा प्रवचन सुनने इकठ्ठा हुए या नहीं क्या सब लोग प्रवचन सुनने आ गए रक्ताले जी कृपया आसन का प्रबंध कीजिये आईये सबसे पहले हम ध्यान लगा लेते है ॐ यज्ञेन याग्यमय्जंत देवास्तानि धर्म्मानी प्रथमान्यासन ते ह नामक महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्य सन्ति देवा तो आईये हम अपना प्रवचन एक भजन से शुरू करते हैं ये भजन है अंधविश्वास का समूल नाश और अन्धविश्वास की भक्ति तो आईये यह भजन में आपके सामने रखने जा रहा हूँ
हे अन्धविश्वास रुपी रुढी हमारे भाव उज्जवल कीजिये
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये
अन्धविश्वास पर हम अभी भी भूलकर विश्वास करे
अन्धविश्वास का समूल नाश करने पर हम विश्वास न करे
पूजा त्यागे भक्ति त्यागे तांत्रिको के चक्कर में आया करे
तांत्रिको के कहे अनुसार ही अपना भाग्य बनाया करे
अन्धविश्वास रुपी रुढी हमारे भाव उज्जवल कीजिये
तांत्रिको के कहने पर हम बच्चो की बलि चढ़ाया करे
तांत्रिको को कहने पर हम बच्चो को मरवाया करे
हे अन्धविश्वास रुपी रुढी हमारे भाव उज्जवल कीजिये
हाँ तो मेरा इस भजन को इस प्रवचन की शुरुआत से पहले लिखने का मतलब यह था की में दिखाना चाहता था की हमारे भारत देश में अन्धविश्वास किस तरह घर कर गया है और ख़तम ही नहीं हो रहा है यह दिखाने के लिए यह भजन लिखना पड़ा आईये सबसे पहले हम देश में अन्धविश्वास के कारन हुई घटनाओं पर एक कथा सुनाते हैं आप सब लोग ध्यान से सुने अन्धविश्वास किस हद तक घर कर गया है हमारे देश में इसकी कथा में पहले कहना चाहता हूँ यह कथा शुरू होती है हापुड़ में हुई एक घटना से यहाँ पर कैसे एक महिला ने अपने बच्चे को मरने पर छोड़ा था वोह माँ थी अनीता उसके जो बच्चे होते थे वह बीमार होते थे फिर उसने तांत्रिक को दिखाया तांत्रिक ने उससे कहा की तू बलि दे और अपने बच्चे को दफना दे अरे कोई माँ ऐसा कर सकती है राम राम राम बड़ा दुःख होता है यह अन्धविश्वास कथा सुनाते हुए अब देखिये जितने अन्धविश्वास को ख़त्म करने वाले बाबा थे वह सब मर गए जब हमारे television चैनल वाले इसकी आवाज उठा देते है तो उन्हें कहा जाता है यह हमारी आस्था है आप इसमें दखल ना दे तो यह अन्धविश्वास रुपी महिमा है आजकल अब आप देख सकते हैं की आजकल यह नारा लगाते हैं इक्कसवी सदी उज्जवल भविष्य क्या यही उज्जवल भविष्य है इस सदी का अन्धविश्वास पर विश्वास किया जाना अरे रक्ताले जी निशा जी योगी जी इस अन्धविश्वास रुपी मुर्दे का क्रिया कर्म कीजिये अर्थी लेकर चलिए इसकी चिता जला दीजिये अरे हाँ जब तक उस अन्धविश्वास रुपी मुर्दे का अंत नहीं होगा तब तक अन्धविश्वास बढ़ता रहेगा अन्धविश्वास को बढ़ावा देना एक गुनाह के समान है और एक अपराधिक कृत्य है इसीलिए हम पहले इस मुर्दे को ख़त्म करेंगे तभी कुछ होगा हम इसकी आत्मा की शांति के लिए इश्वर से प्रार्थना करते हैं आख बंद करके मंत्र बोलिए ॐ शांति ही बस अब हमारा प्रवचन ख़त्म हुआ अब भंडारा batwaiye और सभी को यथोचित दान दीजिये प्रसाद देकर तृप्त कीजिये अगला प्रवचन फिर सुनायेंगे तब तक के लिए जय श्री कृष्ण
धन्यवाद
श्री श्री १०८ स्वामी अजयानंद जी महाराज
Read Comments