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दैनिक जागरण ने फर्स्ट अप्रैल की रोचक घटना के बारे में जो जानकारी देने के लिए और इस रोचक घटना को सभी ब्लोग्गेर्स के साथ शेयर करने के लिए जो आमंत्रण ब्लोग्गेर्स को भेजा है उसके लिए में दैनिक जागरण का आभारी हूँ यह तो सभी जानते है की फर्स्ट अप्रैल को फूल डे भी कहा जाता है यानी मुर्ख दिवस इस पर एक बार मेरी माँ ने मुझे अपने बचपन की एक रोचक घटना सुनाई जिसे सुनकर मेरी हँसी का ठिकाना नहीं रहा हुआ यह की मेरी मम्मी के एक अंकल जी थे वोह बहुत खुशमिजाज और हसमुख थे बच्चो के साथ खूब हँसी मजाक किया करते थे एक बार मार्च के लास्ट वीक में होली पड़ी मेरी मम्मी अपने अंकल जी के लिए गुजिया बचाकर रखती थी क्योंकि उन्हें मम्मी के हाथ की बनी गुजिया बहुत पसंद थी किसी कारणवश अंकल जी बाहर चले गए वह इकत्तीस मार्च को वापस आये आते ही वह मम्मी से बोले की मेरे हिस्से की गुजिया कहीं खा तो नहीं ली मम्मी बोली नहीं आपके हिस्से की गुजिया रखी है आप कल घर आना में चाय के साथ आपको गुजिया दूंगी मम्मी के दिमाग में एक मजाक सुझा उन्होंने सोचा अंकल हँसी मजाक तो करते ही हैं क्यों न उनके साथ मुर्ख डे बनाया जाए मम्मी ने एक गुजिया में से मसाला निकालकर उसके अन्दर मिटटी भर दी दुसरे दिन अंकल जी फर्स्ट अप्रैल के दिन घर आये मम्मी ने अंकल जी के लिए बढ़िया चाय बनायीं और चार पांच गुजिया के साथ वोह मिटटी वाली गुजिया भी रख दी अंकल जी खुश होकर चाय की चुस्कियां लेने लगे और गुजिया खाने लगे एक गुजिया तो सही सलामत खायी उन्हें गुजिया बहुत अच्छी लगी बातों बातों में उन्होंने मिटटी वाली गुजिया भी उठा ली जैसे ही उस गुजिया को muh में रखा उनके mooh में मसाले की जगह मिटटी भर गयी वह थूकते हुए बोले यह कैसी गुजिया रख दी तब मम्मी जोर से हँसी और उन्होंने कहा की आज फूल्स डे है
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