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गुंडाराज किसी पार्टी पर निर्भर नहीं करता यह निर्भर होता है कानून की सख्ती पर यदि देश का कानून भी शिथिल होता है तब चोरु चक्कों और गुंडों का बोलबाला होता है काफी हद तक गुंडाराज सरकारी लच्चर व्यवस्था पर निर्भर है व्यवस्था का तात्पर्य रोजगार शिक्षा महंगाई आदि बातों पर निर्भर है जब पढ़े लिखे लोग ख़ाली बैठे रहेंगे तो जाहिर है की उनका दिमाग बुराइयों की तरफ जाएगा एक कहावत है ख़ाली मस्ती शैतान का घर जब युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा तो वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गलत कदम उठाएंगे क्योंकि माता पिता तो किसी तरह अपने बच्चो को पढ़ा लिखाकर उनको रोजी रोटी कमाने लायक बना देते हैं आगे रोजगार देना सरकार का काम है कुछ हद तक अत्यधिक मशीनीकरण भी इस गुंडाराज का कारन है क्योंकि लघु उद्योगों का पतन हो गया है लघु उद्योग भारत जैसे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण रोजगारपरक सिद्ध होते थे जहाँ मशीनीकरण से चार व्यक्ति कार्य करते थे वहां पर एक व्यक्ति कार्य करता है मशीनीकरण के प्रचंड फेले हुए जाल से आम व्यक्ति बेरोजगारी की मार झेल रहा है ऐसे में गुंडागर्दी को बढ़ावा मिलना कोई बड़ी बात नहीं है फिर चाहे वह समाजवादी पार्टी हो या कोई अन्य पार्टी गुंडाराज कोई भी रोक नहीं सकता क्योंकि धन प्राप्त करने के लिए या रोजगार पाने के लिए कोई भी पार्टी सत्ता में आती है तो वह अपने अपनों का बोलबाला शुरू कर देती है इससे भ्रस्टाचार बढ़ जाता है और यदि इस बढ़ते हुए भ्रस्टाचार पर कोई आवाज उठाता है तो सत्तारूढ़ पार्टी आवाज उठाने वाले लोगो पर और न्यायप्रिय लोगो पर अपनी सत्ता की ताकत जमाना शुरू कर देती है इस तरह कानून व्यवस्था ढीली पढ़ जाती है जैसा की देखने में आता है की नेताओं की आड़ में गुंडागर्दी करने वालो पर पुलिस भी करवाई नहीं करती और कोर्ट kacchari में भी रिश्वत की ताकत पर या नेताजी के एक फ़ोन पर गुंडों को बचा लिया जाता है इसलिए यह कहना असंभव है की किसी भी पार्टी के शाशनकाल में राम राज्य स्थापित हो सकता है या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा
विचारशील लेखक अजय पाण्डेय
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