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सरकार ने जो यह अभियान चलाया है बेटी बचाओ यह कई जगह तर्कसंगत तो बैठता है पर कई जगह तर्कसंगत नहीं है बेटियों को यहाँ अभिशाप समझा जाता है और यहाँ सभी को लड़के चाहिए में यह सोचता हूँ की आखिर हमारा समाज बेटियों को क्यों नहीं चाहता आखिर क्या कारन है यहाँ पर बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता है यहाँ पर लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं जो यह अभियान चलाया है बेटी बचाओ यह अभी कई जगह तक पंहुचा नहीं है अब बेटियों का क्या दोष जो उन्हें मार दिया जाता है बेटियों को तो जीने देना चाहिए बेटियां जिसके घर में हुई समझो लक्ष्मी आ गयी पर भारत में यह सब मानता क्यों नहीं अब बेटियों को बचाना सरकार का भी काम है और हमारा भी हमें ही पुरे देश में अच्छी तरह से जागरूकता फैलानी होगी तभी यह अभियान तर्कसंगत बैठेगा अब कहते हैं की बेटियों को मत मारो नहीं तो सजा मिलेगी पर आजकल तो कानून में ही सख्ती नहीं है जो सरकार कहती है की सजा मिलेगी वो मिलनी भी चाहिए कानून सख्त होने चाहिए कानूनों को सख्त करना सरकार का काम है कानून में कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए सजा देनी ही चाहिए आजकल समाज में अस्पताल भी लिप्त हैं इस धंधे में अस्पताल में तो बाहर से यह होअर्डिंग लगा रहता है की कन्या की हत्या करना दंडनीय है पर वह भी इसमें मिले रहते है बेटी बचाओ अभियान तभी तर्कसंगत होगा जब सरकार अपने कानूनों में सख्ती करे तभी यह अभियान न्यायसंगत और तर्कसंगत होगा वरना नहीं
सामाजिक हित में अजय पाण्डेय द्वारा जारी
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