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जी हाँ जन लोकपाल बिल एक सोची समझी रणनीति था अन्ना जी ने जो आन्दोलन किया क्या उससे कुछ हुआ हाँ फर्क जरुर पढ़ा अन्ना इफ्फेक्ट के चलते लोगो को न्याय फटाफट मिला और हडबडाहट में सिटिज़न चार्टर लागु हुआ अन्ना जी के आन्दोलन ने एक हुंकार भरी भ्रस्ताचार के विरुद्ध जो संविधान जो अधिकार देता है वह हमें एक समय सीमा के अन्दर देता है और अन्ना जी का जो बिल है वोह सारे ही अधिकार जनता को देता है अब जनता को अधिकार एक समय सीमा के अन्दर दिए जाने चाहिए अब अन्ना जी का जो बिल था वोह पास तो नहीं हुआ लेकिन विवाद का कारन बना रहा कुछ गलती जनता की भी है जो अपना काम करवाने के लिए पैसा दे रही है जन लोकपाल बिल की जो प्रासंगिकता है वह हमारे पुराने कानूनों से अलग है पुराने कानूनों को सोच समझकर बनाया गया है जन लोकपाल पर अन्ना जी ने जनमत संग्रह कराया पर देश पुराने कानूनों से ही चलेगा अन्ना जी को यह मान लेना चाहिए अन्ना जी को अब मुख्या कार्य नशाबंदी करवानी चाहिए अन्ना जी का जन लोकपाल बिल और हमारा संविधान क्या कहता है
१. सारे अधिकार जनता को दे दिए जाए
२. हमारा संविधान
१. जनता को अधिकार एक सीमा के अन्दर दिया जाना चाहिए
जन लोकपाल बिल
१. न्यायपालिका जनता को दी जाए
संविधान
१. न्यायपालिका स्वतंत्र है
तो यह अन्ना जी के जन लोकपाल और हमारे संविधान की प्रासंगिकता है अन्ना जी का जन लोकपाल काम नहीं करेगा देश पुराने कानूनों से ही चलेगा राहुल गाँधी जी ने कहा था की जब भ्रस्ताचार है तो जन लोकपाल भी क्या काम करेगा अंत में में इस विषय पर ज्यादा न कहते हुए एक कविता द्वारा इसको ख़तम करूँगा
अन्ना जी मान जाईये इस बात को
की देश चलेगा पुराने कानूनों से
आपका इफ्फेक्ट काम करेगा कुछ ही हद तक
जो हमारे कानून हैं वह बने है सोच समझकर
अन्ना जी देश को चलने दीजिये पुराने कानूनों से
देशहित में अजय पाण्डेय द्वारा जारी
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