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एक आत्मिक उल्लास का त्यौहार होली

lekhan vani
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गुरु पिया श्याम पिया प्रभु पिया
मेरी रंग दे चुनरिया
जैसा की आप सभी जानते है की कई सालो के बाद एक त्यौहार आता है होली अब इस होली में रंग से खेला तो जाता है लेकिन कुछ आत्मिक उल्लास भी होली के दिन होना चाहिए होली का मतलब अपने मन के पापो को अगर जला दो वही होली हो जाती है आत्मिक उल्लास का मतलब कुछ ध्यान लगाना अब होली में आप रंगों से तो खेले ही पर ध्यान भी लगाया करे उसमे यह सोचे की कैसा आनंद आ रहा है मन को शांति मिल रही है ऐसा जब आप सोचे तो होली हर्षौल्लास से युक्त तो होगी ही साथ ही उसमे आत्मिक उल्लास भी आ जायेगा अब हम आपको रंगों के नुक्सान और फायदे के बारे में बताएँगे
पलाश का रंग
पलाश के फूलो का रंग होली खेलने के लिए उपयोगी है शास्त्रों में पलाश को कहा गया है ब्रह्म्व्रक्ष पलाशः पलाश का रंग कैसे बनाये इसकी विधि यहाँ निम्नानुसार है सबसे पहले पानी ले और फिर पलाश के फूल केवरा का फूल दोनों को डाल दे रंग का मिश्रण तैयार हो जायेगा फिर पलाश के रंग से होली खेले अब रासायनिक रंगों से नुक्सान भी होते है और आँखें ख़राब होने का डर भी रहता है
लाल रंग
सबसे पहले एक लाल रंग ले फिर उसे पानी में भिगो दे फिर लाल रंग के मिश्रण को घोल दे और लाल रंग तैयार हो जायेगा
hara रंग
hara रंग जब तैयार karna हो तो उसमे कुछ gulaab की पंखुडियां डाल दे फिर रंग बनाये यह रंग में फिर मिश्रण घोल दे यह रंग भी तैयार हो जायेगा
महान dermatologist shri अनिल गोयल कहते हैं की
रासायनिक रंगों की अपेक्षा प्राकृतिक रंगों से होली खेले तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि रासायनिक रंगों से त्वचा खराब होने का डर रहता है
इस लेख को ख़तम करते हुए मैं चंद पंक्तियों में होली पर कविता लिखना चाहूँगा
होली के रंगों में बापू का प्यार बरसे बरसे
बापू के दर्शन को हमारे नैन तरसे तरसे
आई है होली आई खुशियों के रंग है लायी
बरसे बरसे बरसे बरसे
आई है होली गुरुवर ने पिचकारी मारी
ऐसा सान्निध्य कहाँ मिलेगा
गुरुवर की होली का
आई है होली आई खुशियों के रंग है लायी
बरसे बरसे बरसे बरसे
धन्यवाद
अजय पाण्डेय द्वारा जारी

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